सूचना का अधिकार |
|
![]() |
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 4(1) मैन्यूअल 25 बिंदु की जानकारी वर्ष 2022-23 (PDF Size-863 kB) |
सूचना का अधिकार क्या है- सूचना के अधिकार के तहत भारत का कोई भी नागरिक, किसी भी लोक प्राधिकारी अथवा उसके नियंत्रणाधीन, किन्ही भी दस्तावेजों#अभिलेखों का निरीक्षण कर सकता है, इन अभिलेखों#दस्तावेजों की प्रामाणिक प्रति प्राप्त कर सकता है, जहां सूचना किसी कम्प्यूटर या अन्य युक्ति में भंडारित है, तो ऐसी सूचना को फ्लापी#डिस्केट#टेप या वीडियो कैसेट के रूप में प्राप्त कर सकता है। साथ ही इस अधिकार के तहत सामग्री के प्रामाणिक नमूने लेने का भी प्रावधान है।
सूचना किससे मांगी जा सकती है- इस अधिनियम के तहत किसी भी शासकीय कार्यालय से जानकारी मांगी जा सकती है। इसके साथ ही स्वायत्त शासन या निकाय या संस्था, जो संविधान के द्वारा या संसद द्वारा बनाये गये विधि द्वारा या राज्य विधानमण्डल द्वारा बनाये गये विधि से या सरकार द्वारा जारी की गई अधिसूचना या किये गये आदेश द्वारा स्थापित या गठित है, से भी जानकारी मांगी जा सकती है। ऐसे अशासकीय संगठन, जिनके वार्षिक ‘टर्नओवर’ का पचास प्रतिशत या रुपये पचास हजार, जो भी कम हो, शासन या उसकी किसी संस्था से अनुदान के रूप में या अन्यथा वित्तीय रूप से पोषित होने पर ऐसी संस्थाओं से भी सूचना मांगी जा सकती है।
लोकतंत्र में शासन जनता का होता है, और उसे जनता के लिए जनता के द्वारा संचालित किया जाता है। भारतीय संविधान सहभागी लोकतंत्र के सिद्धांत पर आधारित है। शासन व्यवस्था मे अपनी सहभागिता सुनिष्चित करने के लिये नागरिकों द्वारा चुनाव के माध्यम से प्रतिनिधि का चयन किया जाता है, संविधान की यह मान्यता है कि, जनता के चुने हुये प्रितिनिधि की इच्छा व आकांक्षा के अनुरूप् संविधान सम्मत शासन का संचालन व नीतियों का निर्धारण इस प्रकार हो कि प्रत्येक व्यक्ति को उसकी अधिकतम लाभ प्राप्त हो सके। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये शासन को हर स्तर पर जनता के प्रति जवाबदेह होना आवश्यक है। यह तभी सम्भव है जब नागरिकों को शासन व इसके अधीन समस्त प्रषासनिक इकाईयों के क्रिया कलापों की उन सारी सूचनाओं को प्राप्त करने की शक्ति प्राप्त हो, जो उनसे जुडी है या जो जनहित में आवष्यक हो।
इन उद्देष्यों की पूर्ति हेतु वर्ष 2003 में राज्य शासन ने मध्यप्रदेश जनकारी की स्वतंत्रता अधिनियम 2002 क्रमांक 3 सन् 2003 पारित किया व अब केन्द्र शासन द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 प्रभावशील किया गया है। नगर पालिका परिषद हरदा मध्यप्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1961 के अंतर्गत गठित एक निगमित निकाय है एवं सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत एक “लोक प्राधिकारी” है। नगर पालिका परिषद के कार्य व कर्तव्य नागरिकों से सीधे जुडे हुए है। अतः नागरिकों को नगर व नागरिकों के लिये निर्धारित की जाने नीति स्वीकृत योजनाए व नगर पालिका व उसके अधिकारियों व कर्मयचारियों के अधिकार व कर्तव्य तथा कार्यप्रणाली की समग्र जानकारी नागरिको को एक स्थान पर प्राप्त हो सके, इसी उद्देश्य से अधिनियम की धारा 4 मे वर्णित समस्त जानकारी समाहित करते हुए यह पुस्तिका तैयार की गई है। इस पुस्तिका मे अंकित जानकारी व सूचना से अधिक जानकारी का किसी अभिलेख की प्रतिलिपि प्राप्त करने के लिये निकाय के मुख्य नगर पालिका अधिकारी से संपर्क किया जा सकता है।